चूने का पानी बच्चों के लिए अमृत की तरह लाभदायक है। इसके सेवन से बच्चे निरोग व हृष्ट-पुष्ट बनते हैं। अगर बच्चे का जिगर खराब हो गया हो या पुष्ट न हो या बालक मां का दूध फेंकता हो तो उसको चूने का पानी पिलाने से लाभ होता है। उसका हाजमा ठीक रहता है। अजीर्ण या बदहजमी के दस्त और अम्लता से पैदा हुई वमन इस चूने के पानी के सेवन से आराम हो जाती है। इससे बच्चे कैल्शियम की कमी से होने वाले अनेक रोगों से बचकर पुष्ट रहते हैं।
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सेवन विधी - एक साल से कम उम्र के बालक को, जितने महीने का बालक हो उतनी ही बूंदें यह चूने का पानी दूध में ( दो चम्मच दूध में एक बूंद चूने का पानी) मिलाकर सुबह व शाम को पिलाएं ।
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एक साल से आठ साल तक के बच्चों को आधा कप पानी या दूध में 15 से 20 बूंद या चौथाई से आधा चम्मच दिन में दो से तीन बार अवश्य दें। बालकों के दूध के विकार को मिटाने के लिए यह एक रामबाण औषधी है। इससे पांच से सात दिन में ही बालक की हालत में सुधार होता है और उसके दांत भी आसानी से निकलते हैं।

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